Tuesday, October 19, 2010

आशियाना...



आशाओं
की छोटी-छोटी बूंदों से बने है सपने हमारे - कुच्छ कामियाबी के, कुच्छ खूशी के - जिनसे सजाया है हमने हमारी दुनियाँ को |
सपना एक ऐसे घर का; जिसमें हर दिन हो खुशियों की दिवालीजिसमें बसी हो हमारे आनेवाले कल की उम्मीद...
एक नयी दुल्हन कि पायल की झंकार, बच्चों की गिदगिदाती हँसी, बुढ़ापे का साथ
...बस यही तोह है सपनो का घर हमारा

1 Comments:

Blogger rhythm fadia-maniar said...

beautiful...
but isnt it gudgudati hasi instead of gidgidati???

3:47 PM  

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